दो ज़ुल्मी नैनां मार गए - The Indic Lyrics Database

दो ज़ुल्मी नैनां मार गए

गीतकार - डी एन मधोकी | गायक - एस डी बातीश | संगीत - अमरनाथ | फ़िल्म - आई बहार | वर्ष - 1946

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दुनिया में हर किसी की क़िस्मत जुदाजुदा है

दुनिया में हर किसी की क़िस्मत जुदाजुदा है

एक मोतियों से खेले एक ख़ाक में मिला है

एक वो है जो मज़े से फूलों पे सो रहा है

और दूसरा बिचारा काटों पे रो रहा है

अजी तुम ही कहो ये कैसा इन्साफ़ हो रहा है

दुनिया में हर किसी की

पैसा है पास जिस के दुनिया है उस के बस में

दुनिया उसी को माने जो खायें झूटी क़स्में

अजी तुम ही कहो समझ कर अच्छी हैं क्या ये रस्में

दुनिया में हर किसी की

सब एक जगह पे बैठे हर कोई एक सारा

ऊँचा न कोई नीचा छोटा हो ना बड़ा हो

बन जाये सारी दुनिया एक घर तो क्या मज़ा है

दुनिया में हर किसी की