जब ज़िरो दिया है प्रीत जहाँ की रीत सदा - The Indic Lyrics Database

जब ज़िरो दिया है प्रीत जहाँ की रीत सदा

गीतकार - नीरज | गायक - किशोर कुमार | संगीत - एस डी बर्मन | फ़िल्म - शर्मीली | वर्ष - 1971

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जब ज़ीरो दिया मेरे भारत ने
भारत ने, मेरे भारत ने
दुनिया को तब गिनती आयी
तारों की भाषा, भारत ने
दुनिया को, पहले सिखलायी

देता ना दशमलव, भारत तो
यूँ चाँद पे जाना, मुश्किल था
धरती और चाँद की, दूरी का
अंदाज़ लगाना, मुश्किल था


(सभ्यता जहाँ पहले आयी)-2
पहले जनमी है, जहाँ पे कला
अपना भारत वो भारत है
जिसके पीछे, संसार चला

संसार चला और, आगे बढ़ा
यूँ आगे बढ़ा, बढ़ता ही गया
भगवान करे, ये और बढ़े
बढ़ता ही रहे, और फूले-फले

ह्म्म्म..हम्म
हो हो.. होहो..
हो हो.. होहो..
है प्रीत जहाँ की रीत सदा


है प्रीत जहाँ की रीत सदा..
मैं गीत वहाँ के गाता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ
भारत की बात सुनाता हूँ
है प्रीत जहाँ की रीत सदा..
हो हो.. होहो..

काले-गोरे का भेद नहीं
हर दिल से हमारा नाता है..
कुछ और न आता हो हमको
हमें प्यार निभाना आता है…

जिसे मान चुकी सारी दुनिया
हो, जिसे मान चुकी सारी दुनिया
मैं बात वोही दोहराता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ
भारत की बात सुनाता हूँ
है प्रीत जहाँ की रीत सदा..

जीते हो किसीने देश तो क्या
हमने तो दिलों को जीता है..
जहाँ राम अभी तक है नर में
नारी में अभी तक सीता है..

इतने पावन हैं लोग जहाँ
इतने पावन हैं लोग जहाँ
मैं नित-नित शीश झुकाता हूँ
मैं नित-नित शीश झुकाता हूँ

भारत का रहने वाला हूँ
भारत की बात सुनाता हूँ

हो..हो..होहो..
हो..हो.. होहो..

इतनी ममता नदियों को भी
जहाँ माता कहके बुलाते हैं..
इतना आदर इन्सान तो क्या
पत्थर भी पूजे जातें हैं..

उस धरती पे मैंने जनम लिया
हो, उस धरती पे मैंने जनम लिया
ये सोच, ये सोच के मैं इतराता हूँ

भारत का रहने वाला हूँ
भारत की बात सुनाता हूँ
है प्रीत जहाँ की रीत सदा
हो..हो..होहो….