तेरे हर कदम पे - The Indic Lyrics Database

तेरे हर कदम पे

गीतकार - राजेंद्र कृशन | गायक - शब्बीर कुमार | संगीत - लक्ष्मीकांत प्यारेलाल | फ़िल्म - आग का दरिया | वर्ष - 1953

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तेरे हर कदम पे
गुलडिस्टा झुक गए
तेरे हर कदम पे
गुलडिस्टा झुक गए
ये है दिलो के रिश्ते
इंसान क्या फरिश्ते
मुझसे ये कह गए
सर की बात क्या हैं
ास्ता झुक गयी
सर की बात क्या हैं
ास्ता झुक गयी
सर की बात क्या हैं
ास्ता झुक गयी
तेरे हर कदम पे
गुलडिस्टा झुक गए

तेरी आँख के इशारे
तेरे हुसैन के सहारे
मेरी ज़िन्दगी जवान हैं
मेरी ज़िन्दगी जवान हैं
ये लचक तेरी कमर की
ये ऐडा तेरी नज़र की
किसी और में कहा हैं
किसी और में कहा हैं
देखा जिधर भी तुम्हे
कारवां रुक गए
देखा जिधर भी तुम्हे
कारवां रुक गए
तेरे हर कदम पे
गुलडिस्टा झुक गए

ये मोहनी सी सूरत
है सादगी की मूरत
जो सोचो तो गजब है
ये युही रूठ जाना
ये यु ही मुस्कुराना
ये खेल भी अजब हैं
ये खेल भी अजब हैं
आबि दूर का सफर हैं
हम कहा रुक गए
आबि दूर का सफर हैं
हम कहा रुक गए
तेरे हर कदम पे
गुलडिस्टा झुक गए

ये नयी नयी जवानी
कोई अनसुनी कहानी
मेरे दिल से कह रही हैं
मेरे दिल से कह रही हैं
ो मुझे लग रहा है ऐसे
तेरी चाल है या जैसे
कोई नाव बह रही हैं
कोई नाव बह रही हैं
ये रावणी देखने को
दो जहा रुक गए
ये रावणी देखने को
दो जहा रुक गए
ये हैं दिलो के रिश्ते
इंसान क्या फरिश्ते
मुझसे ये कह गए
सर की बात क्या है
ास्ता झुक गयी
सर की बात क्या हैं
ास्ता झुक गयी
तेरे हर कदम पे
गुलडिस्टा झुक गए.