लाख लाख तारों की माला पहन कर - The Indic Lyrics Database

लाख लाख तारों की माला पहन कर

गीतकार - प्रदीप उर्फ ​​मिस कमला | गायक - राजकुमारी, मन्ना डे | संगीत - NA | फ़िल्म - वीरांगना | वर्ष - 1947

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लो शुरु हुई इस बार

लो शुरु हुई इस बार

हम में तुम में तक़रार

अब मेरे दिल का दाग़ हो तुम

कुछ नहीं गले का हार

सुनते हो?

अ : अच्छा, मैं तेरे दिल का दाग़ सही

पर दाग़ हूँ प्यारा प्यारा

बिन दाग़ न देगा चाँद कभी

ठंडा मीठा उजियारा

काँटा न लगा हो फूल के साथ

तो फूल है बिलकुल ख़ार

बे : क्या इसी तरह की होगी शुरु

हम में तुम में तक़रार

बे : हम तुम में हमेशा तनी रहेगी

कभी न होगा मेल

भूले तो न होंगे अभी तुम्हें

वो बालकपन के खेल

इस बार मगर कुछ ऐसी ठनेगी

लाख बनाए नहीं बनेगी

मिल कर भी रहेंगे अलगअलग

जैसे पानी और तेल

अ : मैं जाके कहीं छुप जाऊँगा

और पीहू पीहू की बोल के बोली

दिल में दर्द उठाऊँगा

बे : मैं दिल का दर्द मिटाने

और मन का मीत मनाने

झट इन चरणों में आन गिरूँगी

कर के प्रेम पुकार

अ : क्या इसी तरह की होगी शुरु

हम तुम में तक़रार