दिल के झरोखे में तुझ को बिठाकर - The Indic Lyrics Database

दिल के झरोखे में तुझ को बिठाकर

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - शंकर जयकिशन | फ़िल्म - ब्रम्हचारी | वर्ष - 1968

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दिल के झरोखे में तुझ को बिठाकर
यादों को तेरी मैं दुल्हन बनाकर
रखूंगा मैं दिल के पास, मत हो मेरी जान उदास
कल तेरे जलवे पराए भी होंगे
लेकिन झलक मेरे ख़्वाबों में होगी
फूलों की डोली में होगी तू रुखसत
लेकिन महक मेरे साँसों में होगी
अब भी तेरे सुर्ख होठों के प्याले
मेरे तसव्वुर में साक़ी बने हैं
अब भी तेरी ज़ुल्फ़ के मस्त साये
बिरहा की धूप में साथी बने हैं
मेरी मोहब्बत को ठुकरा दे चाहे
मैं कोई तुझसे ना शिकवा करूँगा
आँखों में रहती है तस्वीर तेरी
सारी उमर तेरी पूजा करूँगा