कर के बदनाम मेरी नींदें हराम - The Indic Lyrics Database

कर के बदनाम मेरी नींदें हराम

गीतकार - मजरूह | गायक - लता | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - बागी | वर्ष - 1953

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छेड़ यूँ करती है दुनिया तेरे नाम के साथ
हँस के लेती है मेरा नाम तेरे नाम के साथ
कर के बदनाम मेरी नींदें हराम
कहाँ चला गया तू कहाँ चला गया
करने को बातें करूँ तुझ से ख़यालों में
फिर भी न माने दिल तो क्या करूँ
कब तक भिगोया करूँ अश्कों से पलकें
कब तक जुदाई में आहें भरूँ
जब से हुई शाम मुझे रोने से काम
कहाँ चला गया
भटके नज़र मेरी बन में चमन में
चैन मैं दिल का कहीं भी पाऊँ न
दिल में भड़क चले शोले जुदाई के
हाय इन्हीं में कहीं जल जाऊँ न
हो न बदनाम कहीं तेरा ही नाम
कहाँ चला गया