रातों के साए घाने जब बोझ दिल पर बनने - The Indic Lyrics Database

रातों के साए घाने जब बोझ दिल पर बनने

गीतकार - योगेश | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - सलिल चौधरी | फ़िल्म - अन्नदाता | वर्ष - 1972

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(रातों के साये घने जब बोझ दिल पर बने
न तो जले बाती न हो कोई साथी-२
फिर भी न डर अगर बुझें दिये
सहर तो है तेरे लिये) -२(जब भी मुझे कभी कोई जो ग़म घेरे
लगता है होंगे नहीं सपने यह पूरे मेरे)-२
कहता है दिल मुझको माना हैं ग़म तुझको
फिर भी न डर अगर बुझें दिये
सहर तो है तेरे लिये(जब न चमन खिले मेरा बहारों में
जब डूबने मैं लगूँ रातों की मजधारों में)-२
मायूस मन डोले पर यह गगन बोले
फिर भी न डर अगर बुझें दिये
सहर तो है तेरे लिये(जब ज़िन्दगी किसी तरह बहलती नहीं
खामोशियों से भरी जब रात ढलती नहीं)-२
तब मुस्कुराऊँ मैं यह गीत गाऊँ मैं
फिर भी न डर अगर बुझें दिये
सहर तो है तेरे लियेरातों के साये घने जब बोझ दिल पर बने
न तो जलें बाती न हो कोई साथी-२
फिर भी न डर अगर बुझें दिये
सहर तो है तेरे लिये