ऐ उड़ी उड़ी उड़ी हल्की हल्की कल रात जो शबनम गिरी - The Indic Lyrics Database

ऐ उड़ी उड़ी उड़ी हल्की हल्की कल रात जो शबनम गिरी

गीतकार - गुलजार | गायक - अदनान सामी | संगीत - ए आर रहमान | फ़िल्म - साथिया | वर्ष - 2002

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ऐ उड़ि उड़ि उड़ि, ए ख़ाबों की बुरी
ऐ अंग रंग हिले, ए सारी रात बोलीहल्की हल्की कल रात जो शबनम गिरीअँखियाँ वखियाँ बन गईं कल तो आग में डब-डब गिरीपहली-पहली बारिश की छीटें ऐसी बारिश भीगे हो होना गिना ना गिना ना गिना
हो धा गा रे ना ना रे ना गिनाउलझी हुई थी खुल भी गई थी लट वो रात भर बरसीकभी मनाये ख़ूब सताये वो सब यार की हँसीछेड़ दूँ मैं कभी प्यार से तो तंग होती हैछोड़ दूँ रूठ के तो भी तो जंग होती हैज़िंदगी आँखों की आयत हैज़िंदगी आँखों में रखी तेरी अमानत हैज़िंदगी ऐ ज़िंदगी ऐ ज़िंदगी
(लिफ़े, ओ लिफ़े, ओ लिफ़े)लड़-लड़ के जीने को ये लफ़्ज़ भी तोड़े हैंमर-मर के सीने में ये शीशे जोड़े हैंतुम कह दो सब नाते मंज़िल दो सोचो तोअ.म्बर पे पहले ही सितारे थोड़े हैंज़िंदगी आँखों की आयत हैपलकों में झपकी है मीठी शिकायत हैज़िंदगी ऐ ज़िंदगी ऐ ज़िंदगी