दिन छिप गया निकले तारे - The Indic Lyrics Database

दिन छिप गया निकले तारे

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - लता | संगीत - हेमंत कुमार | फ़िल्म - अंजान | वर्ष - 1956

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दिन छिप गया निकले तारे
तेरी याद में दर्द के मारे
रुक जाये ना ?, घर आजा रे बलम
दिल रो रो तुझे पुकारे)-2

(मेरे साजन मुखड़ा मोड़ गये
क्यों दिल में अंधेरा छोड़ गये)-2
ऐ चान्द बता, मेरी क्या है खता
जो रूठे पिया हमारे
दिन छिप गया निकले तारे

(मेरी मन ही मन में बात रही
नैनों में सदा बरसात रही)-2
मैं तो छुप छुप के रोई, मैं तो दर्द में खोई
मेरी समझे कौन ?
दिन छिप गया निकले तारे$