दिल का दिया, जला के गया, ये कौन मेरी तनहाई में - The Indic Lyrics Database

दिल का दिया, जला के गया, ये कौन मेरी तनहाई में

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - चित्रगुप्त | फ़िल्म - आकाश दीप | वर्ष - 1965

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दिल का दिया, जला के गया, ये कौन मेरी तनहाई में
सोये नग्में जाग उठे, होंठों की शहनाई में
प्यार अरमानों का दर खटकाए
ख्वाब जागी आँखों से मिलने को आये
कितने साये डोल पड़े, सूनी सी अंगनाई में
एक ही नजर में निखर गई मैं तो
आईना जो देखा संवर गई मैं तो
तन पे उजाला फ़ैल गया पहली ही अंगडाई में
काँपते लबों को मैं खोल रही हूँ
बोल वही जैसे के बोल रही हूँ
बोल जो डूबे से हैं कहीं इस दिल की गहराई में