दिल-ए-नादान ज़माने में मुहब्बत एक धोखा है - The Indic Lyrics Database

दिल-ए-नादान ज़माने में मुहब्बत एक धोखा है

गीतकार - असद भोपाली | गायक - तलत, आशा | संगीत - हंसराज बहल | फ़िल्म - मस्त कलंदर | वर्ष - 1955

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दिल-ए-नादान ज़माने में मुहब्बत एक धोखा है
ये सब कहने की बातें हैं, किसी का कौन होता है

वही मैं हूँ, वही दिल है, वही तेरी तमन्ना है
ये इक इल्ज़ाम है मुझपे, कि मेरा प्यार झूठा है

वफ़ा का नाम होंठों पर है खंजर आसतीनों में
समझ ले देखने वालो ये दुनिया कैसी दुनिया है
दिल-ए-नादान ...

वो दिल वीरान है जिसमें हज़ारों आरज़ूएं थी
जाहाँ लाखों दिये जलते थे उस घर में अन्धेरा है
वही मैं हूँ ...

वो दिल पर चोट खायी है कि जीते जी न भूलूँगा
भरोसा कर के तुमपे मैं ने अपना चैन खोया है
दिल-ए-नादान ...
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