दिल वाले दिल गीर हुआ - The Indic Lyrics Database

दिल वाले दिल गीर हुआ

गीतकार - पं. भूषण | गायक - धनंजय भट्टाचार्य | संगीत - पंकज मलिक | फ़िल्म - यात्री | वर्ष - 1952

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दिल वाले दिल गीर हुआ
क्या सोच रहा है तू, सोच रहा है तू
सुख और दुःख को समझ बराबर
धीरज, तू धीरज धर साधु
क्योँ सोच रहा क्योँ सोच रहा
क्या सोच रहा है तू ...

खोटी दुनिया भले बुढ़े की
कर न सके पहचान
ग्यान वान पर कीच उछाले
(मूरख को दे मान)-2
तू अपमान को मान समझ कर
पोँछ डाल आँसू
क्योँ सोच रहा क्योँ सोच रहा
क्या सोच रहा है तू ...

हँसी खुशी और रोना धोना
(जग के झूठे खेल)-2
तन मन में जो बसा है सबके
बढ़ा तू उससे मेल
बढ़ाके उससे मेल
(साधु मन पर पा क़ाबू)-2
क्योँ सोच रहा क्योँ सोच रहा
क्या सोच रहा है तू$