अल्लाह-ओ-अकबर - The Indic Lyrics Database

अल्लाह-ओ-अकबर

गीतकार - असद भोपाली | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - उषा खन्ना | फ़िल्म - अलीबाबा और चालीस चोर/अलीबाबा और 40 चोर | वर्ष - 1960

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अल्लाह-ओ-अकबर-२
बनाए जा बिगाड़े जा बिगाड़े जा बनाए जा
कि हम तेरे चिराग़ हैं जलाए जा बुझाए जा-२

हर क़दम पे साथ हैं अँधेरे भी उजाले भी
कैसी तेरे शान है गिराए भी स.म्भाले भी
जो ना कभी देखे वो तमाशे तू दिखाए जा
कि हम तेरे चिराग़ ...

सर पे साया मौत का है और हमको जीना है
अपने हाथों अपने ही दिल के ज़ख़्म सीना है
जो तुझे मंज़ूर है वो काम तू कराए जा
कि हम तेरे चिराग़ ...

माना ये सब खेल है क़िस्मत की लकीरों का
फिर भी तेरे हाथ है फ़ैसला तक़दीरों का
दुनिया की तक़दीरों को जगाए जा सुलाए जा
कि हम तेरे चिराग़ ...