ये साये हैं, ये दुनिया है - The Indic Lyrics Database

ये साये हैं, ये दुनिया है

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - राहुल देव बर्मन | फ़िल्म - जब जब फूल खिले | वर्ष - 1965

View in Roman

ये साये हैं, ये दुनिया है परछईयों की
भरी भीड़ में खाली तनहाईयों की
यहाँ कोई साहिल सहारा नहीं है
कहीं डूबने को किनारा नहीं है
यहाँ सारी रौनक है रुसवाईयों की
कई चाँद उठकर जलाए बुझाए
बहोत हमने चाहा ज़रा नींद आए
यहाँ रात होती है बेदारीयों की
यहाँ सारे चेहरे हैं मांगे हुए से
निगाहों में आँसू भी टाँगे हुए से
बड़ी नीची राहें हैं ऊँचाइयों की