गीतकार - जान निसार अख्तर | गायक - किशोर | संगीत - ओपी नैय्यर | फ़िल्म - नया अंदाज़ | वर्ष - 1956
View in Romanअपना तो ज़माने में इतना ही फ़साना है
कुछ हम भी दीवाने हैं कुछ दिल भी दीवाना है
हमसे तो कोई पूछे वो मस्त नज़र क्या है-2
जीने का सहारा है मरने का बहाना है
कुछ हम भी दीवाने ...
भूले से कभी हमने क़ातिल न कहा उनको
दिल जिनकी अदाओं का ख़ामोश निशाना है
अपना तो ज़माने ...
ये राज़ है उल्फ़त का दुनिया इसे क्या जाने
नज़रों का चुराना ही नज़रों का मिलाना है
अपना तो ज़माने ...
मंज़िल कहाँ है ऐ दिल हम इश्क़ के मारों की
हम जा के जहाँ बैठे वहीं अपना ठिकाना है
अपना तो ज़माने ...$