तक़दीर बनी बन कर बिगड़ी - The Indic Lyrics Database

तक़दीर बनी बन कर बिगड़ी

गीतकार - शकील | गायक - शमशाद | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - मेला | वर्ष - 1948

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तय कर के बड़ी दूर की पुरपेच डगरिया

तय कर के बड़ी दूर की पुरपेच डगरिया

ऐ इश्क़ चले आए हैं हम तेरी नगरिया

लहराएं हवाओं में हसीनों के दुपट्टे

आए हमें लेने के लिए तिरछी नज़रिया

हो सामने सज धज किए माशूक़ से मजमे

सब आके कहें आओ मेरे बाँके सँवरिया

परदेस से इक आया है दिल बेचने वाला

ऐ हुस्न तेरी आज तो खुल जाए बजरिया