ये मोह मोह के धागे तेरी उँगलियों से जा उलझे - The Indic Lyrics Database

ये मोह मोह के धागे तेरी उँगलियों से जा उलझे

गीतकार - नक्श लायलपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - खय्याम | फ़िल्म - खानदान | वर्ष - 1979

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ये मोह मोह के धागे तेरी उँगलियों से जा उलझे
कोई टोह टोह ना लागे किस तरह गिरह ये सुलझे
है रोम रोम एक तारा जो बादलों में से गुज़रे
तू होगा जरा पागल तूने मुझको है चुना
कैसे तू ने अनकहा, तूने अनकहा सब सुना
तू दिन सा है मैं रात, आना दोनो मिल जाए शामों की तरह
के तेरी झूठी बातें मैं सारी मान लूँ
आँखों से तेरे सच सभी सब कुछ अभी जान लूँ
तेज है धारा बहते से हम आवारा आ थम के साँसे ले यहाँ
(के ऐसा बेपरवाह मन पहले तो न था
चिट्ठीयों को जैसे मिल गया जैसे एक नया सा पता
खाली राहें हम आँखें मूँदे जाएँ पहुंचे कहीं तो बेवजह)