अपना बना के फिर क्यूँ भुलाया - The Indic Lyrics Database

अपना बना के फिर क्यूँ भुलाया

गीतकार - हसरत | गायक - तलत, सुधा मल्होत्रा | संगीत - विनोद | फ़िल्म - मुमताज़ महल | वर्ष - 1957

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दर-ए-हबीब से हम ...

सु: अपना बना के फिर क्यूँ भुलाया
दिल मेरा नाशाद है, हाय
आ मेरे सनम
त: ओऽऽ आना भी चाहूँ कैसे आऊँ
पेहरे पे सय्याद है, हाय
तेरा हूँ, तेरी क़सम

सु: आ मेरे सनम
त: ओऽऽ तेरा हूँ, तेरी क़सम
सु: ओऽऽ अपना बना के ...
त: हाय, आना भी चाहूँ ...

सु: दिल में हमारे दर्द जवाँ है, जवाँ है
इतना बता दे अब तू कहाँ है, कहाँ है
त: मेरी ज़ुबाँ पर तेरा बयाँ है
दिल भी वहीं है अब तू जहाँ है, जहाँ है
सु: कहाँ है? आ, मेरे सनम
त: आऽऽ तेरा हूँ, तेरी क़सम
सु: ओऽऽ अपना बना के ...
त: हाय, आना भी चाहूँ ...

सु: मदहोश वादें चाहत की रस्में, रस्में
तूने वफ़ा की खाई थी क़समें, क़समें
त: देखो कहीं बेवफ़ा ना समझना
क़िसमत के मारे को अपना समझना, समझना
सु: चला आ मेरे सनम
त: आऽऽ तेरा हूँ, तेरी क़सम
सु: ओऽऽ अपना बना के ...$