चेहरे पे गिरी ज़ुल्फ़ें कह दो तो हटा दूँ मैं - The Indic Lyrics Database

चेहरे पे गिरी ज़ुल्फ़ें कह दो तो हटा दूँ मैं

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - शंकर जयकिशन | फ़िल्म - सूरज | वर्ष - 1966

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चेहरे पे गिरी ज़ुल्फ़ें कह दो तो हटा दूँ मैं
गुस्ताख़ी माफ़, गुस्ताख़ी माफ़
एक फूल तेरे जूड़े में कह दो लगा दूँ मैं
गुस्ताख़ी माफ़, गुस्ताख़ी माफ़
ये रूप हसीं धूप बहोत खूब है लेकिन
उल्फ़त के बिना फीका चेहरा तेरा रंगीन
एक दीप मोहब्बत का कह दो तो जला दूँ मैं
गुस्ताख़ी माफ़, गुस्ताख़ी माफ़
एक आग लगी है मेरे ज़ख्म-ए-जिगर में
ये कैसा करिश्मा है तेरी शोख नज़र में
जो बात रुकी लब पर कह दो तो बता दूँ मैं
गुस्ताख़ी माफ़, गुस्ताख़ी माफ़
सरकार हुआ प्यार ख़ता हमसे हुई है
अब दिल में तुम्हीं तुम हो ये जां भी तेरी है
अब चीर के इस दिल को कह दो तो दिखा दूँ मैं
गुस्ताख़ी माफ़, गुस्ताख़ी माफ़