सितम थे ज़ुल्म थे आफ़त - The Indic Lyrics Database

सितम थे ज़ुल्म थे आफ़त

गीतकार - आरज़ू लखनवी | गायक - के एल सहगल | संगीत - पंकज मलिक | फ़िल्म - दुश्मन/दुश्मन | वर्ष - 1930

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सितम थे ज़ुल्म थे आफ़त थे इंतज़ार के दिन
हज़ार शुक्र के देखेंगे अब बहार दिन-२

आवाज़ की दुनिया के दोस्तो
मैं ज़रा देर से पहुँचा
इसके लिये मुझे अफ़सोस है
लेकिन आज आप लोगों को एक बिल-कुल
नया गाना सुनाता हूँ
ready

आ ह आह हा हा हा हा
मन दरपन है जग सारा
ये जग सारा
मन दरपन है जग सारा

मन अन्धियारा
जग अन्धियारा
मन दरपन है जग सारा
आ ह आह हा हा हा हा

उल्टी है ये जानी दुनिया
दुख का दुख कैसा-२
ऐसा
आँखों में तिल जैसे काला-२
रूप अन्धेरा
रूप अन्धेरा काम उजारा

मन दरपन है जग सारा

बेरी गाये कैसे सोयें-२
काम किये दिन नाहीं होये
नीरस
दुख की नैयाँ और खेवैया
आप की नैयाँ अपनी नैया
जाल उठा ले माझी बन जा-२
वो है किनारा ये है धारा-२