एक दिन राधा ने बंसुरिया - The Indic Lyrics Database

एक दिन राधा ने बंसुरिया

गीतकार - केदार शर्मा | गायक - पहाड़ी सान्याल | संगीत - आर सी बोराल | फ़िल्म - विद्यापति | वर्ष - 1930

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महाराज
सुनिये
एक कहानी

एक दिन राधा ने बंसुरिया नंदलाल की
चुपके से ली चुरा
घर लाई उठा
और क्रोध में आ बोली
कि निगोड़ी सच बलता
क्या मन्तर है
क्या जादू है वो
मोह रखा है जिससे मोहन को
हँस कर बाँसुरिया बोली यूँ
ठहरो सजनी बतलाती हूँ

इक बाँस की थी पतली सी नली-२
जंगल में उगी जंगल में पली-२
तक़दीर मगर कुछ अच्छी थी-२
मधुसूदन के मैं हाथ लगी-२
( सजनी जो कटा हर अंग मेरा
कुछ और ही निकला रंग मेरा )-२
मैं प्रेम को समझी थी ऐसाँ-२
सुन कर होगी तुम भी हैराँ-२

छेदों से मेरा सिना है भरा-२
आ हाथ लगा कर देख ज़रा
छेदों से भरा सिना है मेरा
आ हाथ लगा कर देख ज़रा

अब तन क्या है इक तान सखी-२
प्रीतम के स्वार्थ है जान सखी-३