ओ रे कांची - The Indic Lyrics Database

ओ रे कांची

गीतकार - | गायक - | संगीत - | फ़िल्म - | वर्ष - 2001

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ओह रे कांची
कांच की गुड़िया
होठों में बांधे
प्रेम की पुड़िया
ना उन्हें खोले
न मुँह से बोले
पलकों पे रखके
आँखों से टॉले

सुनियो सुनियो
मिस्री से मीठी
आँखों में बून्द
है बातें रसीली
ना उन्हें खोले न
मुँह से बोले
पलकों पे रखके
आँखों से टॉले

पहाड़ी पर चलना है
तो पर्बत हटा दूं
घटाओं में कहीं
छुपना है तो सावन बुला दूँ
महुआ महुआ महका महका
महका महका महुआ महुआ

कोई उड़ता हुआ पंछी
बता देगा ठिकाना
जहाँ से दिन निकलता
हैं उसी किले पे आना
महुआ महुआ
महका महका
महका महका
महुआ महुआ

ओह रे कांची कांच की गुड़िया
तेरा कोई परिचय हो तो
ए सुंदरी बता दे
बड़ी मीठी तेरी मुस्कान
है मुंदरी बना दे
महुआ महुआ महका महका
महका महका महुआ महुआ

हाय परदेसी मुझे
भूल जायेगा कहीं पे
दे वचन में पेहेन
लून उसे गहन समझ के
महुआ महुआ महका महका
महका महका महुआ महुआ.