घुंघट मन मुखड़े रूप दीया राम ने - The Indic Lyrics Database

घुंघट मन मुखड़े रूप दीया राम ने

गीतकार - समीर | गायक - सहगान, बेला | संगीत - आनंद, मिलिंद | फ़िल्म - विजेता: | वर्ष - 1996

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घूंघट में मुखड़े को क्यूं मैं छुपाऊं
रूप दिया राम ने तो क्यूं न दिखाऊं
खुश्बू अदाओं की क्यूं न लुटाऊं
रूप दिया राम ने ...नैना कटीले काले नशीले तीखी अदाएं कमसिन उमर है
ओ जोबन रसीला कितना सजीला ल.म्बी लटें हैं पतली कमर है
बलखा के क्यूं न मैं ठुमका लगाऊं
रूप दिया राम ने ...मेरी जवानी अंगूरी पानी मुझमें तो है मौजों की रवानी
आ सारा ज़माना मेरा दीवाना मैं तो हूँ उसके सपनों की रानी
हँस हँस के बिजली मैं क्यूं न गिराऊं
रूप दिया राम ने ...