काहे को राड मचायि - The Indic Lyrics Database

काहे को राड मचायि

गीतकार - आरज़ू लखनवी | गायक - के एल सहगल | संगीत - आर सी बोराल | फ़िल्म - लगन | वर्ष - 1941

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काहे को राड़ मचाई (२)
छोड़ो भी यह निठुराई काहे को राड़ मचाई (२)मन के बैर को मोह से बदलो दुःख भी सुख बन जायी (२)
इसी मोह में अपना पराया दोनों की है भलाई (२)
काहे को राड़ मचाई (२)हर पल नई बहार देखो जगत श्रिंगार (२)
खिली कली मुरझा के बिकती बंधी कली मुस्काई (२)
प्रीत की रीत (४)
प्रीत की रीत निभाना सीखो बिगड़ा काम बनाना सीखो (२)
जाके डार लिपट कर झूमी करके प्रेम सगाई (२)
काहे को राड़ मचाई (२)