मै और मेरी तनहाई, अक्सर ये बाते करते हैं - The Indic Lyrics Database

मै और मेरी तनहाई, अक्सर ये बाते करते हैं

गीतकार - जावेद अख्तर | गायक - लता - अमिताभ बच्चन | संगीत - शिव हरी | फ़िल्म - चेहरा | वर्ष - 2013

View in Roman

मैं और मेरी तनहाई, अक्सर ये बाते करते हैं
तुम होती तो कैसा होता
तुम ये कहती, तुम वो कहती
तुम इस बात पे हैरान होती
तुम उस बात पे कितना हँसती
तुम होती तो ऐसा होता, तुम होती तो वैसा होता
मैं और मेरी तनहाई, अक्सर ये बाते करते हैं
ये कहाँ आ गए हम, यूँ ही साथ साथ चलते
तेरी बाहों में है जानम, मेरे जिस्म-ओ-जां पिघलते
ये रात है या तुम्हारी जुल्फे खुली हुई है
है चांदनी या तुम्हारी नज़रों से मेरी राते धुली हुई है
ये चाँद है, या तुम्हारा कंगन
सितारें हैं, या तुम्हारा आँचल
हवा का झोंका है, या तुम्हारे बदन की खुशबू
ये पत्तियों की है सरसराहट
कि तुम ने चुपके से कुछ कहा है
ये सोचता हूँ, मैं कब से गुमसुम
कि जब के, मुझको को भी ये खबर है
कि तुम नहीं हो, कहीं नहीं हो
मगर ये दिल है के कह रहा है
तुम यहीं हो, यहीं कहीं हो
तू बदन है, मैं हूँ छाया, तू ना हो तो मैं कहाँ हूँ
मुझे प्यार करनेवाले, तू जहाँ है मैं वहाँ हूँ
हमे मिलना ही था हमदम, किसी राह भी निकलते
मेरी साँस साँस महके, कोई भीना भीना चन्दन
तेरा प्यार चांदनी है, मेरा दिल है जैसे आँगन
हुई और भी मुलायम, मेरी शाम ढलते ढलते
मजबूर ये हालात, इधर भी है, उधर भी
तनहाई की एक रात, इधर भी है, उधर भी
कहने को बहोत कुछ है मगर किस से कहें हम
कब तक यूँ ही खामोश रहें और सहें हम
दिल कहता है दुनिया की हर एक रस्म उठा दे
दीवार जो हम दोनों में है, आज गिरा दे
क्यों दिल में सुलगते रहें, लोगों को बता दे
हाँ हम को मोहब्बत है, मोहब्बत है, मोहब्बत
अब दिल में यही बात, इधर भी है, उधर भी