ये हवा, ये रात, ये चांदनी, तेरी एक अदा पे निसार है - The Indic Lyrics Database

ये हवा, ये रात, ये चांदनी, तेरी एक अदा पे निसार है

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - तलत मेहमूद | संगीत - रवि | फ़िल्म - घर संसार | वर्ष - 1958

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ये हवा, ये रात ये चाँदनी
तेरी एक अदा पे निसार है
मुझे क्यों ना हो तेरी आरजू
तेरी जुस्तजू में बहार है
तुझे क्या खबर है, ओ बेख़बर
तेरी एक नज़र में है क्या असर
जो गजब में आए तो कहर है
जो हो मेहरबां तो करार है
तेरी बात, बात है दिलनशी
कोई तुझ से बढ़ के नहीं हसीन
है कली कली पे जो मस्तियाँ
तेरी आँख का ये खुमार है