मातलब निकल गया है तो पहाचानाते नहींं - The Indic Lyrics Database

मातलब निकल गया है तो पहाचानाते नहींं

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - रवि | फ़िल्म - अमानत | वर्ष - 1975

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मतलब निकल गया है तो, पहचानते नहीं
यूँ जा रहे हैं जैसे हमें, जानते नहींअपनी गरज़ थी जब तो लिपटना क़बूल था
बाहों के दायरे में सिमटना क़बूल था
अब हम मना रहे हैं मगर मानते नहींहमने तुम्हें पसंद किया, क्या बुरा किया
रुतबा ही कुछ बलन्द किया क्या बुरा किया
हर इक गली की ख़ाक तो हम छानते नहींमुँह फेर कर न जाओ हमारे क़रीब से
मिलता है कोई चाहने वाला नसीब से
इस तरह आशिक़ों पे कमाँ तानते नहीं