ये है रेशमी ज़ुल्फ़ों का अँधेरा ना घबराईये - The Indic Lyrics Database

ये है रेशमी ज़ुल्फ़ों का अँधेरा ना घबराईये

गीतकार - मजरूह सुलतानपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - ओ. पी. नय्यर | फ़िल्म - हरियाली और रास्ता | वर्ष - 1962

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ये है रेशमी ज़ुल्फ़ों का अँधेरा ना घबराईये
जहाँ तक महक है मेरे गेसुओं की चले आईये
सुनिए तो जरा, जो हक़ीक़त है कहते है हम
खुलते रुकते इन रंगीं लबों की कसम
जल उठेंगे दिए जुगनुओं की तरह, ये तबस्सुम तो फरमाईये
प्यासी है नज़र ये भी कहने की है बात क्या
तुम हो मेहमां तो न ठहरेगी ये रात क्या
रात जाए रहे, आप दिल में मेरे अरमां बन के रह जाईये