ये फ़ासले तेरी गलियों के हमसे तय ना हुये - The Indic Lyrics Database

ये फ़ासले तेरी गलियों के हमसे तय ना हुये

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - जगजित सिंग | संगीत - वनराज भाटिया | फ़िल्म - मेरे सनम | वर्ष - 1965

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ये फ़ासले तेरी गलियों के हमसे तय ना हुये
हज़ार बार रुके हम हज़ार बार चले
ना जाने कौन सी मट्टी वतन की मट्टी थी
नज़र मे धूल जिगर में लिये गुबार चले
ये कैसी सरहदें उलझी हुई हैं पैरो में
हम अपने घर की तरफ उठ के बार बार चले