काँतों पे चल के कहीं से मौत को लाओ - The Indic Lyrics Database

काँतों पे चल के कहीं से मौत को लाओ

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - चित्रगुप्त | फ़िल्म - मेरा कुसूर क्या है | वर्ष - 1964

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काँटों पे चल के पाँव के छालों से क्या गिला
माँगी थी खुद ही रात उजालों से क्या गिलाकहीं से मौत को लाओ के ग़म की रात कटे
मेरा ही सोग मनाओ के ग़म की रात कटे
कहीं से मौत को ...करे न पीछा मेरा ज़िन्दगी को समझा दो -२
ये राह उसको भुला दो के ग़म की रात कटे
कहीं से मौत को ...कहो बहारों से अब शाख़-ए-दिल न होगी हरी -२
ख़िज़ां के गीत सुनाओ के ग़म की रात कटे
कहीं से मौत को ...न चारागर की ज़रूरत न कुछ दवा की है
दुआ को हाथ उठाओ के ग़म की रात कटे
कहीं से मौत को ...