कैसा लगता है अच्छा लगता हैं - The Indic Lyrics Database

कैसा लगता है अच्छा लगता हैं

गीतकार - समीर | गायक - अनुराधा पौडवाल, अमित कुमार | संगीत - आनंद, मिलिंद | फ़िल्म - | वर्ष - 1990

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कैसा लगता है अच्छा लगता है
प्यार का सपना सच्चा लगता है
तू जो करीब है मेरा नसीब है
दिल में बसी है तू मेरी खुशी है तू
तेरे बिना इक पल मुझे न रहना
कैसा लगता है ...हर तरफ़ खुशियों का मौसम है यहां
हमने पहली बार देखा ये जहां
ग़म की दुनिया से हम चले आये
दूर हैं हमसे दर्द के साये
आ दुआ मांग लें कुछ भी हो अब दुख पड़े न सहना
कैसा लगता है ...प्यार के वादे कभी न तोड़ना
तुम कभी तन्हा ना हमको छोड़ना
आंसुओं को हम पी ना पायेंगे
हम जुदा होके जी ना पायेंगे
आ कसम खा के हम मानेंगे हमेशा इक दूजे का कहना
कैसा लगता है ...मांग तेरी सजा दूं मैं आजा बिंदिया लगा दूं मैं
लाल चुनरी ओढ़ा दूं मैं दुल्हन बना दूं मैं
हाथों से तेरा सिंगार करूं
बाहों में भर के प्यार करूं
रूप मैं संवार दूं आजा पहना दूं तुझे फूलों का गहना
कैसा लगता है ...जो लोग कहते हैं कहने दो सनम
हम न तोड़ेंगे कभी अपनी कसम
साथ हो जिसके हमसफ़र ऐसा
फिर ज़माने का डर उसे कैसा
है यही आरज़ू सुख दुःख तेरे संग हमें है सहना
कैसा लगता है ...