ये बेकसी के अँधेरे ज़रा तो ढलने दे - The Indic Lyrics Database

ये बेकसी के अँधेरे ज़रा तो ढलने दे

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - सोलवाँ साल | वर्ष - 1958

View in Roman

ये बेकसी के अँधेरे ज़रा तो ढलने दे
बुझा न दे मेरे दिल का चराग़ जलने दे
खुद अपनी आग में जलना मेरा मुक़द्दर है
मैं एक शम्मा हूँ पल-पल मुझे पिघलने दे
ये भटकी-भटकी जवानी ये डगमगाए क़दम
संभल तो जाऊँ ज़माना अगर संभलने दे
न सुन सके तो यहीं ख़त्म ज़िक्र-ए-ग़म कर दूँ
जो सुन सके तो मेरी दास्तान चलने दे