अम्बुआ की डारी पे बोले रे कोयलिया - The Indic Lyrics Database

अम्बुआ की डारी पे बोले रे कोयलिया

गीतकार - शम्स लखनवी | गायक - जयश्री | संगीत - वसंत देसाई | फ़िल्म - दहेज | वर्ष - 1950

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अम्बुआ की डारी पे बोले रे कोयलिया
प्रीत न करना अजी, प्रीत न करना जी
बोले रे कोयलिया ...

सुलग सुलग मैं काली भयी
कोयला बनी ना राख
जल जल के मरना अजी, प्रीत न करना जी
बोले रे कोयलिया ...

शहद के अन्दर ज़हर भरा है
पता नहीं वो किस ने किया है
आहें न भरना अजी, प्रीत न करना जी
बोले रे कोयलिया ...

खुशबू से तुम मस्त न होना
काँटों को हाथों से न छूना
फूलों से डरना अजी, प्रीत न करना जी
बोले रे कोयलिया ...$