रात चुप छाप दाबे पांव चलिए जाति हैं - The Indic Lyrics Database

रात चुप छाप दाबे पांव चलिए जाति हैं

गीतकार - गुलजार | गायक - आशा भोंसले | संगीत - आर डी बर्मन | फ़िल्म - दिल पडोसी है (गैर-फिल्म) | वर्ष - 1987

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रात चुप-चाप दबे पाँव चली जाती है -२
रात ख़ामोश है रोती नहीं हँसती भी नहीं
रात चुप-चाप दबे पाँव चली जाती है
रात ख़ामोश है रोती नहीं हँसती भी नहीं
रात चुप-चाप दबे पाँव चली जाती हैकाँच का नीला-सा गुम्बद है उड़ा जाता है -२
पाल खोले कोई बजरा-सा बहा जाता है
एक सैलाब है साहिल पे बिछा जाता है
रात चुप-चाप दबे पाँव चली जाती हैचाँद की किरनों में वो रोज़-सा रेशम भी नहीं -२
चाँद की चिकनी डली है कि घुली जाती है
और सन्नाटों की इक धूल उड़ी जाती है
रात चुप-चाप दबे पाँव चली जाती हैकाश इक बार कभी नींद से उठ कर तुम भी -२
हिज्र की रातों में ये देखो तो क्या होता है