चलो चलें मितावा इन ऊँची नीची रहों में चलो चलें पुरवा - The Indic Lyrics Database

चलो चलें मितावा इन ऊँची नीची रहों में चलो चलें पुरवा

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - कविता कृष्णमूर्ति, उदित नारायण | संगीत - ए आर रहमान | फ़िल्म - नायक द रियल हीरो | वर्ष - 2001

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चलो चलें मितवा इन ऊँची-नीची राहों मेंतेरी प्यारी-प्यारी बाँहों में कहीं हम खो जायेंकभी नींद से जागें हम कभी फिर सो जायेंचलो चलें मितवा इन ऊँची-नीची राहों में
तेरी प्यारी-प्यारी बाँहों में कहीं हम खो जायें
कभी नींद से जागें हम कभी फिर सो जायेंलाज की रेखा मैं पार कर आईकुछ भी कहे अब कोई मैं तो प्यार कर आईये अभी नहीं होगा तो कभी नहीं होगाआ मेरे सजन कर ले मिलनकाट खाये ना हाय-हाय ये प्रेम-बिछुआचलो चलें मितवा इन ऊँची-नीची राहों में
तेरी प्यारी-प्यारी बाँहों में कहीं हम खो जायें
कभी नींद से जागें हम कभी फिर सो जायेंआ तुझे अपनी पलकों पे मैं बिठा के ले चलता हूँचल तुझे सारी दुनिया से मैं छुपा के ले चलता हूँमैं तेरे पीछे हूँ पाँव के नीचे हूँनैन भी मीचे हूँ सुन ओ सैय्यां रे ले बैय्यांये अभी नहीं होगा तो कभी नहीं होगा
आ मेरे सजन कर ले मिलन
काट खाये ना हाय-हाय ये प्रेम-बिछुआचलो चलें मितवा इन ऊँची-नीची राहों में
तेरी प्यारी-प्यारी बाँहों में कहीं हम खो जायें
कभी नींद से जागें हम कभी फिर सो जायेंआग दिल में लग जाती है नींद अब किसको आती हैनींद आने से पहले ही याद तेरी आ जाती हैचाँद दीपक बाती सब हमारे साथीप्यार के बाराती कल परसों से नहीं, बरसों सेये अभी नहीं होगा तो कभी नहीं होगा
आ मेरे सजन कर ले मिलन
काट खाये ना हाय-हाय ये प्रेम-बिछुआचलो चलें मितवा इन ऊँची-नीची राहों में
तेरी प्यारी-प्यारी बाँहों में कहीं हम खो जायें
कभी नींद से जागें हम कभी फिर सो जायेंलाज की रेखा मैं पार कर आई
कुछ भी कहे अब कोई मैं तो प्यार कर आई
ये अभी नहीं होगा तो कभी नहीं होगा
आ मेरे सजन कर ले मिलन
काट खाये ना हाय-हाय ये प्रेम-बिछुआचलो चलें मितवा इन ऊँची-नीची राहों में
तेरी प्यारी-प्यारी बाँहों में कहीं हम खो जायें
कभी नींद से जागें हम कभी फिर सो जायेंओ हो ओ ओ ओ ओ हो ओ ओ ओ -२
ओ हो ओ ओ ओ ओ हो ओ ओ ओSecond version:ओह रे ओह रे चलो चलें पुरवा -२चलो चलें पुरवा इन ऊँची-नीची राहों मेंइन ऊँची-नीची राहों में कहीं हम खो जायेंकभि नींद से जागें हम कभी फिर सो जायेंचलो चलें पुरवा इन ऊँची-नीची राहों में
इन ऊँची-नीची राहों में कहीं हम खो जायें
कभी नींद से जागें हम कभी फिर सो जायेंनींद से मैं जागी ले के अँगड़ाईजग छोड़ा घर छोड़ा तेरे साथ मैं आईये अभी नहीं होगा तो कभी नहीं होगा
तू मेरी सखी मैं तेरी सखीऔर कोई ये चाहें माने ना मानेचलो चलें पुरवा इन ऊँची-नीची राहों में
इन ऊँची-नीची राहों में कहीं हम खो जायें
कभी नींद से जागें हम कभी फिर सो जायें( चलो चलें मितवा इन ऊँची-नीची राहों में
तेरी प्यारी-प्यारी बाँहों में कहीं हम खो जायें
कभी नींद से जागें हम कभी फिर सो जायें ) -२