दुउर बहुत आबादी से इश्क की रंगीं वादी से - The Indic Lyrics Database

दुउर बहुत आबादी से इश्क की रंगीं वादी से

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - लता मंगेशकर, मुकेश | संगीत - सलिल चौधरी | फ़िल्म - झूला | वर्ष - 1962

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ल : आ हा आ
मु : ( दूर बहुत आबादी से, इश्क़ की रंगीं वादी से
ये कौन सदा देता है
ल : प्यार भरा इक दिल होगा, या कोई बिस्मिल होगा
जो अपना पता देता है ) -२ल : आ हा आ
मु : लहराती सी ये राहें, न जाने किसको चाहें -२
ल : किसके दीदार की प्यासी, हैं इनकी खुली निगाहें -२
आस लगाये बैठे रहना भी तो मज़ा देता है
मु : दूर बहुत आबादी से, इश्क़ की रंगीं वादी से
ये कौन सदा देता है
ल : प्यार भरा इक दिल होगा, या कोई बिस्मिल होगा
जो अपना पता देता हैल : आ हा आ
मु : ये परबत ऊँचे-ऊँचे, ख़ामोशी के अफ़साने -२
ल : क्यूँ दूर खड़े बस्ती से, होंगे ये भी दीवाने -२
जाने किस-किस को दीवाना प्यार बना देता हैमु : दूर बहुत आबादी से, इश्क़ की रंगीं वादी से
ये कौन सदा देता है
ल : प्यार भरा इक दिल होगा, या कोई बिस्मिल होगा
जो अपना पता देता है