सैंया झूठों का बड़ा सरताज निकला - The Indic Lyrics Database

सैंया झूठों का बड़ा सरताज निकला

गीतकार - भरत व्यास | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - वसंत देसाई | फ़िल्म - दो आंखे बारह हाथ | वर्ष - 1957

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सैंया झूठों का बड़ा सरताज निकला
मुझे छोड़ चला, मुख मोड़ चला, दिल तोड़ चला
बड़ा धोखेबाज निकला
चल दिया जुल्मी मुझसे बहाना बना
मेरे नन्हे से दिल को निशाना बना
बड़ा तीखा वो, दैय्या तीखा वो तीरन्दाज निकला
मैंने एक दिन ज़रा सी जो की मसखरी
चला नजरे घुमा के वो गुस्से भरी
मेरा छैला बड़ा नाराज निकला
परदेसी की प्रीत बड़ी होती बुरी
जैसे मीठे जहर की हो मीठी छुरी
मैं तो भोली थी वो चालबाज निकला
कुछ दिनों से पिया हमसे ना बोलता
ना हमारा घूँघटवा का पट खोलता
इस गुपचुप का भेद देखो आज निकला