ओ निगाहें मस्ताना - The Indic Lyrics Database

ओ निगाहें मस्ताना

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - आशा भोसले - किशोर कुमार | संगीत - सचिन देव बर्मन | फ़िल्म - पेइंग अतिथि | वर्ष - 1957

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ओ निगाहें मस्ताना
देख समा है सुहाना
तीर दिल पे चला के
हाँ ज़रा झुक जाना
कोई देखे नशीली आँखें मलमल के
दिल कैसे बने न दीवाना
शमा करे है इशारे जब जल जल के
कहो क्या करे परवाना
दामन न बचाना मेरे हाथोंसे
अरमा के गले से लग जाना
जले चाँद सितारे जिन बातो से
सुन जा वही अफ़साना
बस्ती के दियों को बुझ जाने दे
लहरा के न रुक रुक जाना
चाहत का लबों पे नाम आने दे
यही प्यार का है जमाना