बादलों से काट काट के, कागजों पे नाम जोडना - The Indic Lyrics Database

बादलों से काट काट के, कागजों पे नाम जोडना

गीतकार - गुलजार | गायक - भूपेंद्र | संगीत - विशाल भारद्वाज | फ़िल्म - सत्या | वर्ष - 1998

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बादलों से काट काट के
कागजों पे नाम जोड़ना
ये मुझे क्या हो गया?
डोरियों से बाँध बाँध के
रातभर चाँद तोड़ना
ये मुझे क्या हो गया?
एक बार तुम को जब बरसते पानियों के पार देखा था
यूँ लगा था जैसे गुनगुनाता एक आबशार देखा था
तब से मेरी नींद में बरसती रहती हो
बोलती बहोत हो और हँसती रहती हो
जो तुझे जानता न हो, उस से तेरा नाम पूछना
ये मुझे क्या हो गया?
देखो यूँ खुले बदन तुम गुलाबी साहिलों पे आया ना करो तुम
नमक भरे समन्दरों में इस तरह नहाया ना करो
सारा दिन चाँदनी सी छाई रहती है
और गुलाबी धूप बौखलाई रहती है
जामुनों की नर्म डाल पे, नाखूनों से नाम खोदना
ये मुझे क्या हो गया?