बादल यूँ गरजता है, डर कुछ ऐसा लगता है - The Indic Lyrics Database

बादल यूँ गरजता है, डर कुछ ऐसा लगता है

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - लता - शब्बीर कुमार | संगीत - राहुल देव बर्मन | फ़िल्म - बेताब | वर्ष - 1983

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बादल यूँ गरजता है, डर कुछ ऐसा लगता है
चमक चमक के, लपक के ये बिजली हम पे गिर जायेगी
बाहर भी तूफान, अंदर भी तूफान
बीच में दो तूफ़ानों के ये शीशे का मकान
ऐसे दिल धड़कता है, डर कुछ ऐसा लगता है
ये दीवानी शाम, ये तूफ़ानी शाम
आग बरसती है सावन में, पानी का है नाम
बस कुछ भी हो सकता है, डर कुछ ऐसा लगता है
तौबा हुस्न-ए-यार, बदले रंग हज़ार
शर्म कभी आती है और कभी आता है प्यार
देखे कौन ठहरता है, डर कुछ ऐसा लगता है
तुम बैठो उस पार, हम बैठे इस पार
आओ अपने बीच बना ले, हम कोई दीवार
दिल फिर भी मिल सकता है, डर कुछ ऐसा लगता है