अजल से हुस्न परस्ती लिखी थी क़िस्मत में - The Indic Lyrics Database

अजल से हुस्न परस्ती लिखी थी क़िस्मत में

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - रफी | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - साकी | वर्ष - 1952

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अजल से हुस्न परस्ती लिखी थी क़िस्मत में
गुज़र रही है मेरी ज़िंदगी मुहब्बत में

(मेरा मिज़ाज लड़कपन से आशिक़ाना है)-3
(मिज़ाज आशिक़ाना है)-3
मेरा मिज़ाज लड़कपन से आशिक़ाना है

अदा-ए-हुस्न पे हस्ती निसार करता हूँ
मेरा तो काम यही है के प्यार करता हूँ
पर एक बार नहीँ बार-बार करता हूँ
हो प्यार करता हूँ
(मेरे लबों पे सदा इश्क़ का तराना है)-2
मेरा मिज़ाज लड़कपन ...

मुझे डराएँगी क्या मुश्क़िलें ज़माने की
के मेरे सीने को आदत है तीर खाने की
ओ हुस्न वालो से सूरत नहीँ निशाने की
नहीँ निशाने की
(खुशी से तीर चलाओ ये दिल निशाना है)-2
मेरा मिज़ाज लड़कपन ...$