रात कितनी हसीं ज़िंदगी महरबाँ - The Indic Lyrics Database

रात कितनी हसीं ज़िंदगी महरबाँ

गीतकार - अंजुम जयपुरी | गायक - तलत महमूद मुबारक बेगम | संगीत - बिपिन-बाबुल | फ़िल्म - बादल और बिजली | वर्ष - 1956

View in Roman

रात कितनी हसीं ज़िंदगी महरबाँ
बात कुछ भी नहीं, बन गयी दास्ताँ
दिल धड़कने लगा, प्यार की राह में
लुत्फ़ आने लगा दर्द में आह में
आज हर चीज़ को मिल गयी है ज़ुबाँ
रात कितनी हसीं
कोई आँखों में लेके बहार आ गया
दिल की बेचैनियों को क़रार आ गया
दो दिलों ने बना ही लिया आशियाँ
रात कितनी हसीं
मुस्कुरा तुझको तेरी हँसी की क़सम
तेरे क़दमों में है मेरी दुनिया सनम
दे रहे हैं गवाही ज़मीं आसमाँ
रात कितनी हसीं