काहे छेड़ छेड़ मोहे गरवा लगाई - The Indic Lyrics Database

काहे छेड़ छेड़ मोहे गरवा लगाई

गीतकार - नुसरत बद्री | गायक - कविता कृष्णमुर्ती - माधुरी दीक्षित - बिरजू महाराज | संगीत - ईस्माइल दरबार | फ़िल्म - देवदास | वर्ष - Nil

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मालती गुँधाए केश प्यारे धुंघवारे
मुख दामिनी सी दमकत चाल मतवारी
ढाई श्याम रोक लई, रोक लई
औचक मुख चूम लई, चूम लई
सर से मोरी चुनरी गई सरक सरक सरक
काहे छेड़ छेड़ मोहे गरवा लगाई
नन्द को लाल ऐसो ढीठ
बरबस मोरी लाज लीन्ही
बिन्दा श्याम मानत नाही
कासे कहूँ मैं अपने जिया की
सुनत नाही माई
काहे छेड़ छेड़ मोहे
दधकी भरी मटकी लई जात रही डगर बिच
आहट सुन जियरा गयो धड़क धड़क
काहे छेड़ छेड़ मोहे
कर पकड़त चूड़ियाँ सब कड़की कड़की कड़की
बिन्दा श्याम मानत नाही
कासे कहूँ मैं अपने जिया की
सुनत नाही माई
काहे छेड़ छेड़ मोहे