मैं हुं पानावली खाता जा इक पान - The Indic Lyrics Database

मैं हुं पानावली खाता जा इक पान

गीतकार - अंजान | गायक - अलका याज्ञनिक | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - बीवी हो तो ऐसी | वर्ष - 1988

View in Roman

मैं हूँ पानवाली बिना दुकान वाली
अरे सारे गांव के लबों पे चमके हमरे पान की लाली
दिल्ली हो मद्रास हो चाहे बम्बई हो या कलकत्ता
सौ रोगों की एक दवा है ये हरे पान का पत्ता
हो बबुआ खाता जा इक पान पान में हमरे बड़ी है जान
हमरे पान पे तो क़ुर्बान है सारा हिन्दुस्तान
हो बबुआ हो लाला हे राजा खाता जा इक पान ...खाके खिले लबों पे लाली चेहरे पे छाए हरियाली
एक गिलोरी चबा के जाओ होगी तुम पे फ़िदा घरवाली
एक मधुर मुस्कान से होगी हर मुश्किल आसान
हो बबुआ खाता जा इक पान ...अगर हो महबूब को मनाना
लेके साथ पान ये जाना
सारे बिगड़े काम बनाना
हमरे पान पे आशिक़ बच्चे बूढ़े और जवान
हो बबुआ खाता जा इक पान ...अहा महफ़िल जमे हो नाच या गाना
शादी ब्याह का जश्न मनाना
बबुआ पान दबाकर जाना
सारी महफ़िल में छा जाना
बिना पान के तो है अधूरी हर महफ़िल की शान
हो बबुआ खाता जा इक पान ...