आज की रात, है बस जलवा - The Indic Lyrics Database

आज की रात, है बस जलवा

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - रफी | संगीत - जयदेवी | फ़िल्म - जियो और जीने दो | वर्ष - 1969

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आज की रात, है बस जलवा दिखाने के लिये
आज की रात नहीं, रूठ के जाने के लिये)
आज की रात
अपने हाथों से ये घूँघट तो उठा लेने दो
प्यास आँखों की मेरी जान बुझा लेने दो
आज तुम लाज के ज़ेवर को उतारो दिलबर
आग मेंहदी की ज़रा दिल में लगा लेने दो
आज की रात है पहलू में समाने के लिये)
आज की रात नहीं रूठ के जाने के लिये
आज की रात
काली ज़ुल्फ़ें मेरे काँधे पे बिखर जाने दो
तीर काजल के मेरे दिल में उतर जाने दो
आज महकी हुई तनहाई यही कहती है
जो मेरे दिल पे गुज़र्ती है, गुज़र जाने दो
(आज की रात है बाँहों में उठाने के लिये)
आज की रात नहीं रूठ के जाने के लिये
आज की रात है बस जलवा दिखाने के लिये
आज की रात नहीं, रूठ के जाने के लिये
आज कि रात