कहाँ तक ये मन को अँधेरे छलेंगे - The Indic Lyrics Database

कहाँ तक ये मन को अँधेरे छलेंगे

गीतकार - योगेश | गायक - किशोर कुमार | संगीत - राजेश रोशन | फ़िल्म - बातों बातों में | वर्ष - 1979

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कहाँ तक ये मन को अँधेरे छलेंगे
उदासी भरे दिन, कभी तो ढलेंगे
कभी सुख, कभी दुःख, यही जिन्दगी है
ये पतझड का मौसम, घड़ी दो घड़ी है
नए फूल कल फिर डगर में खिलेंगे
उदासी भरे दिन ...
भले तेज कितना हवा का हो झोंका
मगर अपने मन में तू रख ये भरोसा
जो बिछड़े सफ़र में तुझे फिर मिलेंगे
उदासी भरे दिन ...
कहे कोई कुछ भी, मगर सच यही है
लहर प्यार की जो, कही उठ रही है
उसे एक दिन तो, किनारे मिलेंगे
उदासी भरे दिन ...