सिने में आग भड़कती है ऐ इश्क हमन बाराबाद ना कर - The Indic Lyrics Database

सिने में आग भड़कती है ऐ इश्क हमन बाराबाद ना कर

गीतकार - सरशर सैलानी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, सुरैया | संगीत - हुस्नलाल-भगतराम | फ़िल्म - नाच | वर्ष - 1949

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सु : सीने में आग भड़कती है आँखों से पानी बहता है
कुछ ऐसी चोट लगी दिल पर दिल रो-रो कर ये कहता हैऐ इश्क़ हमें बरबाद न कर -४दिल तोड़ के मन का मीत गया
हम हार गये ग़म जीत गया
ख़ुशियों का ज़माना बीत गया
ख़ुशियों का ज़माना याद न करर : ऐ इश्क़ हमें बरबाद न कर -२क्यूँ रोते हैं दो दीवाने
बेदर्द ज़माना क्या जाने
बेदर्द ज़माने से ऐ दिल
उम्मीद न रख फ़रियाद न करसु : ऐ इश्क़ हमें बरबाद न कर -२पहले तो क़फ़स में क़ैद किया
सैय्याद ने फिर ये हुक़्म दिया
होंठों को सी अश्क़ों को पी
आँसू न बहा फ़रियाद न करसु : ऐ इश्क़ हमें बरबाद न कर -४