गीतकार - नासिर काज़मी | गायक - आशा भोंसले, गुलाम अली | संगीत - गुलाम अली | फ़िल्म - मेराज-ए-ग़ज़ल (गैर फ़िल्म) | वर्ष - 1983
View in Romanफिर सावन रुत की पवन चली तुम याद आये
फिर पत्तों की पाजेब बजी तुम याद आयेफिर कूँजें बोलीं घास के हरे समुन्दर में
रुत आई पीले फूलों की तुम याद आयेपहले तो मैं चीख के रोया और फिर हँसने लगा
बादल गरजा बिजली चमकी तुम याद आयेफिर कागा बोला घर के सूने आँगन में
फिर अमृत रस की बूँद पड़ी तुम याद आयेदिन भर तो मैं दुनिया के धंधों में खोया रहा
जब दीवारों से धूप ढली तुम याद आये