पिये जा रह हुं जिये जा रह हुं - The Indic Lyrics Database

पिये जा रह हुं जिये जा रह हुं

गीतकार - के एम आरिफ | गायक - गुलाम अली | संगीत - गुलाम अली | फ़िल्म - गुलाम अली (गैर फिल्म) | वर्ष - 1987

View in Roman के मर मर के भी मैं जिये जा रहा हूँ
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कौन है जिसने मय नहीं चक्खी
कौन झूठी क़सम उठाता है
मयकदे से जो बच निअकलता है
तेरी आँखों में डूब जाता हैपिये जा रहा हूँ, जिये जा रहा हूँ
जवानी को धोखा दिये जा रहा हूँजुदाई ही था ज़िंदगी का मुक़द्दर
बहुत जी चुका लीजिये जा रहा हूँबहुत ज़ख़्म खाये मगर रास्तों पर
चराग़ाँ तो कुछ कुछ किये जा रहा हूँभुलाना मुझे इतना आसाँ न होगा
कई दास्तानें दिये जा रहा हूँकशिश कोई ऐसी है जीने में 'आरिफ़'
के मर मर के भी मैं जिये जा रहा हूँ