आज छेड़ो मोहब्बत की शहनाइयाँ - The Indic Lyrics Database

आज छेड़ो मोहब्बत की शहनाइयाँ

गीतकार - शकील | गायक - लता | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - भारत के पुत्र | वर्ष - 1962

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आज छेड़ो मोहब्बत की शहनाइयाँ
दिल के टुकड़े हुए और जिगर लुट गया
ग़म किसी को मिला और किसी को ख़ुशी
एक घर बस गया एक घर लुट गया
दिल के टुकड़े हुए ...
एक तरफ़ अपने डूबे सितारों का ग़म
एक तरफ़ अपनी लुटती बहारों का ग़म
दिल के लुटने की किससे शिक़ायत करूँ
कुछ इधर लुट गया कुछ उधर लुट गया
दिल के टुकड़े हुए ...
किसको अपना कहूँ अब मैं जाऊँ कहाँ
कोई देखे मुहब्बत की मजबूरियाँ
दिल लगाया तो दिल की ख़ुशी मिट गई
सर झुकाया जो मैने तो सर लुट गया
दिल के टुकड़े हुए ...
बुझ गया दिल अब रोशनी क्या करूँ
ले के उजड़ी हुई ज़िन्दगी क्या करूँ
दिल की क़िस्मत में लिखी थीं नाकामियाँ
लाख मैने बचाया मगर लुट गया
दिल के टुकड़े हुए ...